Sunday, 16 June 2013

मामूली उम्मीद


अगर हमारे जीवन से

छीन लिये जाते

राजनेताओं के झूठे वादें,

नकली भाषण उनके

परिकलित वायदें

जो हमेशा टूट ही जाते,

तो शायद अच्छे ही होते|

लगभग सबतो यही है चाहते

न्यूनतम चाह है सबके

स्वास्थ्य सेवा, एक छोटा सा घर

सुविधा हो शिक्षा के लिये,

सुरक्षित एक नौकरी से

नियमित कूछ कमा सके

ताकि आहार-कपड़ा खरीदे

बस, मामूली उम्मीद ही तो है|

क्या हम इतने भी नही कर सकते?
 
--Translation of  Rabindra Padhi's poem "Modest Hope."

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