मेरा अंतरिक्ष
Sunday, 16 June 2013
दो मुक्तक
1.
सेवाकर पाले मेवा
घृणा बनेगी जांलेवा
'बेफिक्र' रहे आयेगा फल
अच्छा कर बन जा देवा..
2.
आओ अब कुछ कर दिखलायेँ
अब दुशमनको डर दिखलायेँ
नौटंकीबाजी बहुत चल गई
जन-गणको रहवर दिखलायेँ.
-ड० माखन लाल दास "बेफिक्र
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